बरेली। बीते दिनों चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश सहित चार अन्य राज्यों के चुनाव घोषणा के बाद में राजनीतिक दलों में हलचल पैदा होना स्वाभाविक है लेकिन जिस तरह से चुनाव आयोग ने पूर्णा की रफ्तार को देखते हुए इस चुनाव को डिजिटल बनाने का ऐलान किया है वह वास्तव में एक नई पहल है और हम सब इसका स्वागत भी करते हैं।
लेकिन चुनाव के साथ में देखना यह है कि अभी तक जिस रवैया से सारी पार्टियां चुनाव लड़ती आई थी इस बदलते हुए चलन में वह किस तरह से अपने आप को वर्चुअल पब्लिक के बीच में स्थापित कर पाती है।
मेरा मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भारतीय जनता पार्टी सबसे सशक्त और मजबूत है इसके कई कारण है डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भाजपा को सबसे सर्वप्रथम लाने का कार्य आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने किया देखा जाए तो भाजपा 2014 के चुनाव से ही पूरी तरीके से डिजिटल हो गई थी भाजपा के कार्यकर्ता धरातल पर और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लगातार अपने आप को सशक्त बना रहे थे और शायद यही कारण है कि भाजपा लगातार पिछले सभी चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करती चली आई है अब जब इस बार के चुनाव में सभी पार्टियों को डिजिटल रूप से ही प्रचार करना है ऐसी स्थितियों में अन्य पार्टियां बहुत घबराई हुई सी लगती है।
भाजपा के संगठन ने कोरोना के समय से ही सेवा के कार्य अपनी पार्टी की गतिविधियों को निरंतर रूप से वर्चुअल के माध्यम से गतिमान रखा है मुझे लगता हैं आज के चुनाव के लिए पिछली तैयारियां भाजपा ने कर ली थी वह सबसे अधिक भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली है भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ता ऑनलाइन मीटिंग सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर सक्रिय रहकर भाजपा की योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं।
खैर अब एक नई चुनौती को पार्टियां किस तरह से देखती है यह तो आगे आने वाला समय बताएगा अभी तक की स्थिति से जो स्पष्ट हो रहा है डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल माध्यम से भाजपा सभी पार्टियों पर अपनी बढ़त बनाए हुए हैं और इसके लिए उसके पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता जिन्होंने लगातार भाजपा को डिजिटल किया सभी लोग बधाई के पात्र हैं।
रिपोर्ट-सूरज सागर।