रिछा राइस मिलर एसोसिएशन(रजिस्टर्ड) के अध्यक्ष नें पेश की खिराजे अकीदत।
2002 को लखनऊ में की गई थी, पूर्व विधायक की हत्या ।
रिपोर्ट कमलजीत सिंह देवरनिया
देवरनियां । बहेड़ी विधानसभा से विधायक रहे मंज़ूर अहमद की हत्या को आज 23 वरस हो गए , और उनकी हत्या आज भी राज बनी हुई है।
उन्हें रिछा राइस मिलर एसोसिएशन (रजिस्टर्ड) की तरफ से खिराजे अकीदत पेश की गई।
छह मार्च 2002 को लखनऊ के राजभवन के सामने धरना देते हुए एक जौनपुर के अभिषेक भारद्वाज नाम के व्यक्ति ने पूर्व विधायक की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
पुलिस ने मौक़े से उसको गिरफ़्तार किया था। सीबीआई से लेकर सीबीसीआईडी ने जांच की,मगर हत्या वका राज-फास नहीं हो पाया है।
रिछा राइस मिलर मिलर एसोसिएशन (रजिस्टर्ड ) के अध्यक्ष अतहर हुसैन नियाज़ी का कहना है, कि पूर्व विधायक मंजूर अहमद की हत्या अपने आप में एक बड़ा मामला था, क्यूंकि गवर्नर हाउस के सामने
143 विधायकों, हज़ारों पुलिस कर्मियों, विधायकों के बॉडीगार्ड्, मीडिया सांसदो के बीच में हाई प्रोफ़ाइल सिक्यूरिटी में घुसकर कोई एक विधायक की हत्या कर गया, और किसी को हत्या का मक़सद नही पता चल पाया?
मंज़ूर अहमद बहेडी विधानसभा से तीन बार विधायक बने, 1989,1993, और2002 में। 1989 में वह निर्दलीय विधायक बने,और उनको निर्दलीय विधायकों का सदर बनाया गया।
तब क़रीब 30 विधायक निर्दलीय चुने गए थे। बाद में मंज़ूर अहमद के कहने पर सभी विधायकों ने मुलायम सिंह को समर्थन दिया और वह मुख्यमंत्री बने।
1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया तो उसमें मंज़ूर अहमद सह-संस्थापक बने। 1993 में वह उत्तर प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष (दर्जा राज्यमंत्री) बने।
इसके साथ ही वह उ.प्र जल पर्चसिंग कमिटी और उ. प्र. असेंबली पार्लमेंट कमिटी के मेम्बर भी रहे।
उनकी मौत पर उ.प्र. असेंवली और लोकसभा को स्थगित कर दिया गया था, और बहेड़ी शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया था।
साथ ही उन्हें राजकीय सम्मान के साथ दफ़नाया गया था। मुलायम सिंह यादव उनकी मौत पर और चालीसमें में बहेड़ी आए थे।
मंज़ूर अहमद मुलायम सिंह के बहुत ख़ास माने जाते थे। उन्होंने कहा कि मंज़ूर अहमद के पिता अब्दुल रशीद बहेड़ी नगर पालिका के पहले चेयरमैन थे, और बाद में मंज़ूर अहमद की पत्नी बहेड़ी की नगर पालिका की पहली महिला चेयरमैन बनी।
और 2012 में उनके पुत्र अंजुम रशीद बहेड़ी नगर पालिका के चेयरमैन बने। मंज़ूर अहमद की पत्नी मुमताज़ जहा ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और
उनको 48000 के क़रीब वोट मिले थे,और अंजुम रशीद ने भी विधानसभा चुनाव लड़े और उनको 47000 और 38000 वोट मिले थे।
मंज़ूर अहमद की छवि बहुत ईमानदार और नेक नेता की थी। उनके बारे में मशहूर था के वह अपनी ख़राब हो चुकी जीप में ही चलते,
और जब उनकी हत्या हुई तब तक तीन बार विधायक बनने के बावजूद अपना घर तक नही बनवा पाए थे। वह छोटे बड़े सबसे बड़ी मोहब्बत से मिलते थे।
आज भी हज़ारों लोग अपने आपको मंज़ूरवादी कहलाते हैं। और उनसे आज भी उतनी मोहब्बत रखते है जितनी पहले थी।
पूर्व विधायक को खिराजे अकीदत पेश करने वालों में रिछा राइस मिलर एसोसिएशन (रजिस्टर्ड) के अध्यक्ष अतहर हुसैन नियाज़ी के
अलावा राशिद हुसैन नियाज़ी,हाजी अब अलीम, तनवीर अहमद, अब्दुल माजिद, रोहित हुसैन,हाजी कफील अहमद आदि प्रमुख मौजूद रहे।