बरेली/देवरानियाँ । रोजाना यह परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों सहित सड़कों पर निकल पड़ता है । और कहीं भी शहर कस्बों तथा गाँवों मे जगह देखकर अपना जोखिम भरा खेल शुरू कर देते हैं दो वक्त की रोटी के लिए पढ़ने लिखने तथा खेलने की उम्र मे यह मासूम अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर है । जिस उम्र में इस बच्चे को स्कूल में पढ़ने और खेलना चाहिए था उस उम्र में यह बच्चा सड़कों पर करतब दिखा रहा है । इतनी छोटी उम्र में बच्चे जमीन पर चलने में लड़खड़ा जाते हैं और यह मासूम बच्चा बिना डरे रस्सी पर चलकर लोगों को तमाशा दिखा रहा है और लोगों की भीड बच्चे के करतब पर तालियाँ बजाकर आनन्दित होता है ।
एक रस्से पर दस बारह साल का यह मासूम अलग-अलग तरह के कर्तव दिखता है कभी डंडा लेकर रस्सी पर चलता है तो कभी एक पहिये के सहारे रस्से का खतरे वाला रास्ता पूरा करता है और लोगों की भीड़ उसके हैरत अंग्रेज स्टैंड को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं । कर्तव दिखाने के बाद लोगों से यह मासूम अपने और अपने परिवार के लिए पैसे भी इकट्ठा करता है । यह खेल एक या दो दिन का नही बल्कि प्रतिदिन का है क्योंकि पापी पेट का सवाल है इसलिए मासूम अपनी जान को रोजाना जोखिम में डालता है ।
इन्हीं सड़कों से बड़े-बड़े समाजसेवी और प्रशासन के नुमाइन्दे सब कुछ देखते हुए गुजरते रहते हैं । लेकिन कोई भी इन बच्चों को इस मुसीबत से निकालने की जहमत नहीं करता है ।सड़कों पर दम तोड़ता बचपन देश का भविष्य कैसे बनेगा यह सवाल किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहा है । यह बच्चा बचपन को दरनिकार कर पेट की आग बुझाने के लिए कर्तव दिखा रहा है जान जोखिम डालकर रस्सी पर चलना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है चंद रुपए की खातिर जीवन को खतरे में डालकर मौत की राह पर चल रहा यह बचपन बताता है कि जिंदगी कितनी सस्ती है और अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए 12 साल का एक मासूम बच्चा रोजाना रस्सी पर चलकर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को तमाशा दिखाता है पर कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि आखिरकार यह बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है
जिन सड़कों पर यह बच्चा तमाशा दिखा रहा है उन्हें सड़कों पर सरकार के नुमाइन्दो से लेकर प्रशासन के अधिकारी भी गुजरते हैं लेकिन कोई भी इन बच्चों की मासूमियत पर रहम नहीं खाता वहीं प्रदेश में गठित बाल श्रम की नजर भी इस तरफ नहीं जाती है सरकारों की नीतियों भी इन सड़कों पर दम तोड़ती देखी जाती है केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए विभिन्न योजना बनाती है और करोड़ों रुपए खर्च करती है लेकिन क्या इन योजनाओं का हक उन्हें मिल रहा है जिन्हें मिलना चाहिए यह तस्वीर इन योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगती है ।